“मुक्तक”
“मुक्तक”
रहती है खुशी किस गली में।
खिलते हैं पुष्प भी कली में।
कोई तो बताए वो खिली क्या-
चहकी क्या हँसके भल भली में॥-1
कहते हैं अभी वो नादां है।
फूलों में दिखी जो जुदा है।
आमोदी लगी सुख भरी सी-
जिन मन में दया वो खुदा हैं॥-2
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी