मुक्तक
लगा दे घाव पर मरहम , दिवाना आज है कोई
कसकते लब हँसी ला दे , तराना साज है कोई
गुमशुदा हो भटकते जो , फिरे आतंक के तम में
जुदा रूहें मिला दे पल , बता वह राज है कोई
लगा दे घाव पर मरहम , दिवाना आज है कोई
कसकते लब हँसी ला दे , तराना साज है कोई
गुमशुदा हो भटकते जो , फिरे आतंक के तम में
जुदा रूहें मिला दे पल , बता वह राज है कोई