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14 Nov 2017 · 1 min read

मुक्तक

जब से लबों पे आया है तेरा नाम फिर से!
जैसे लबों पे आया है कोई जाम फिर से!
तेरी याद बंध गयी है साँसों की डोर से,
मुझको तरसाती हुई आयी है शाम फिर से!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
360 Views
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