आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
********* बुद्धि शुद्धि के दोहे *********
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
किससे कहे दिल की बात को हम
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
23/137.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
गुत्थियों का हल आसान नही .....
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "