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3 Jun 2024 · 1 min read

मुक्तक

आदाब दोस्तों 🌹🥰
दिनांक,,, 03/06/2024,,,
बह्र…..122 122 122 122…
#मुक्तक ,,,
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बन गई हूँ ,
तेरे रास्तों पर महल बन गई हूँ ,
मुझे छू के देखो अगर आ सको तुम ,
मैं कीचड़ में खिलता कँवल बन गई हूँ।

✍️ नील रूहानी ,,,, 03/06/2024,,,
( नीलोफर खान)

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