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12 May 2024 · 1 min read

मुक्तक

सीना फ़ौलादी जान-ओ-ज़िगर हाथ रखते हैं
मुहब्बत से रहते हैं मुहब्बत साथ रखते हैं
बात जब वतन की आबरू पे आ जाए
चीरते दुश्मन, माँ के चरणों पे माथ रखते हैं।

वतन की आबरू पे जब आ जाए
बेईमानी की घटा बेसबब छा जाए
भगत,अशफ़ाक, बिस्मिल पैदा होते
मुल्क़ की जड़ें जयचंद जब खा जाए।

अनिल कुमार निश्छल

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