* मुक्तक *
* मुक्तक *
चाहतों के फूल अधरों पर खिला कर देखिए।
दूरियां अब मध्य की सारी हटाकर देखिए।
जान लें यह जिन्दगी है खिलखिलाने के लिए।
भावना शुभ प्रीति की मन में जगाकर देखिए।
– सुरेन्द्रपाल वैद्य
* मुक्तक *
चाहतों के फूल अधरों पर खिला कर देखिए।
दूरियां अब मध्य की सारी हटाकर देखिए।
जान लें यह जिन्दगी है खिलखिलाने के लिए।
भावना शुभ प्रीति की मन में जगाकर देखिए।
– सुरेन्द्रपाल वैद्य