मुक्तक
मुक्तक
आधार छंद हंसगति (11,9 )
प्रीतम तेरी प्रीत , बड़ी हरजाई ।
विगत पलों की याद, बनी दुखदाई ।
निष्ठुर तेरा प्यार , बहुत तड़पाता –
तन्हाई में आज, आँख भर आई ।
* * *
दिल से दिल की बात, करे दिलवाला ।
मस्ती में बस प्यार , करे मतवाला ।
उसके ही बस गीत , सुनाता मन को –
पी कर हो वो मस्त , नैन की हाला ।
सुशील सरना / 8-1-24