“मुक्तक “
फूलों मे खार क्यों है, प्यार में तकरार क्यों है।
सच्चाई कर पाए ना बयान, बिकते ऐसे अखबार क्यों हैं।
जो दो संप्रदायों को लड़ाए, मनाते ऐसे त्यौहार क्यों हैं।
जो मिटाना चाहता है जातिवाद, उन्हीं की होती हार क्यों है।
श्लोक ” उमंग “
फूलों मे खार क्यों है, प्यार में तकरार क्यों है।
सच्चाई कर पाए ना बयान, बिकते ऐसे अखबार क्यों हैं।
जो दो संप्रदायों को लड़ाए, मनाते ऐसे त्यौहार क्यों हैं।
जो मिटाना चाहता है जातिवाद, उन्हीं की होती हार क्यों है।
श्लोक ” उमंग “