मुक्तक
मुक्तक
बह रही ठण्डी हवाएं, बे-वफा मौसम हुआ।
चिलचिलाती धूप में बरसात का आलम हुआ।।
छा गए बादल गगन में छुप गया सूरज कहीं।
पंछियों का बीहड़ों में चहचहाना कम हुआ।।
जगदीश शर्मा सहज
मुक्तक
बह रही ठण्डी हवाएं, बे-वफा मौसम हुआ।
चिलचिलाती धूप में बरसात का आलम हुआ।।
छा गए बादल गगन में छुप गया सूरज कहीं।
पंछियों का बीहड़ों में चहचहाना कम हुआ।।
जगदीश शर्मा सहज