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9 Jun 2023 · 1 min read

मुक्तक

रोज बिक रहे हैं सामान की तरह .।
कर रहे बर्ताव हैवान की तरह ।
आखों में स्वार्थ के सिवा कुछ नहीं ,
रोज खुल बंद हो रहे दुकान की तरह .।।

1 Like · 207 Views
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