बेटी की विदाई
दूर देश के संबंधों से, बचपन की सखियाँ बिछड़ गईं।
जैसे हिमगिर के आंगन से, बहती नदियाँ बिछड़ गईं।।
माँ की ममता बिछड़ गई है, भाई से बंधन टूट गया।
खेलकूद कर पले जहाँ, बाबुल की गलियाँ बिछड़ गईं।।
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)