मुक्तक
हाथों में अपने मेंहदी लगाए नहीं हो तुम
ताली बजाओ ऐसे ही आये नहीं हो तुम
खुजली सी उठ रही है तुम्हारे बदन में जो
लगता है मुद्दतों से नहाये नहीं हो तुम
प्रीतम श्रावस्तवी
हाथों में अपने मेंहदी लगाए नहीं हो तुम
ताली बजाओ ऐसे ही आये नहीं हो तुम
खुजली सी उठ रही है तुम्हारे बदन में जो
लगता है मुद्दतों से नहाये नहीं हो तुम
प्रीतम श्रावस्तवी