मुक्तक
जुबान को खंजर न बना
धरती को बंजर न बना
कुछ महसूस तो किया कर
दिलों को पत्थर न बना
गिर कर सम्भलना सीखो
तनाव से निकलना सीखो
चमक तो सभी लेते है
सूरज सा दहकना सीखो।
नफरत को कम क्या करें
हर बात में गम क्या करें
सब्र का दामन थाम लिया
खुद पर और सितम क्या करें
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित