Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2021 · 1 min read

मुक्तक

कुछ तकलीफें है जिनके वो क़सूरवार नहीं हैं,
मिट्टी वतन की बेचना उनका क़ारोबार नहीं हैं ,
उंगली लाख उठाओ, लगाओ नित आरोप नए
सभी जानते बेदाग़ हैं तुम जैसे दाग़दार नहीं हैं,,

Language: Hindi
216 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पोथी- पुस्तक
पोथी- पुस्तक
Dr Nisha nandini Bhartiya
वक्त के शतरंज का प्यादा है आदमी
वक्त के शतरंज का प्यादा है आदमी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
निकलो…
निकलो…
Rekha Drolia
मानसिक तनाव
मानसिक तनाव
Sunil Maheshwari
भजलो राम राम राम सिया राम राम राम प्यारे राम
भजलो राम राम राम सिया राम राम राम प्यारे राम
Satyaveer vaishnav
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
Paras Nath Jha
नारी
नारी
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ना जाने सुबह है या शाम,
ना जाने सुबह है या शाम,
Madhavi Srivastava
स्त्री
स्त्री
Shweta Soni
" आशा "
Dr. Kishan tandon kranti
★याद न जाए बीते दिनों की★
★याद न जाए बीते दिनों की★
*प्रणय प्रभात*
धधक रही हृदय में ज्वाला --
धधक रही हृदय में ज्वाला --
Seema Garg
साईकिल दिवस
साईकिल दिवस
Neeraj Agarwal
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
Poonam Matia
कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
Ram Krishan Rastogi
भोर के ओस!
भोर के ओस!
कविता झा ‘गीत’
तू  मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
तू मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
कृष्णकांत गुर्जर
मैं साहिल पर पड़ा रहा
मैं साहिल पर पड़ा रहा
Sahil Ahmad
कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
Sanjay ' शून्य'
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2023
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2023
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
भारत माता की वंदना
भारत माता की वंदना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मैं
मैं "आदित्य" सुबह की धूप लेकर चल रहा हूं।
Dr. ADITYA BHARTI
*रोते बूढ़े कर रहे, यौवन के दिन याद ( कुंडलिया )*
*रोते बूढ़े कर रहे, यौवन के दिन याद ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
"आशा" की कुण्डलियाँ"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
3180.*पूर्णिका*
3180.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन एक मकान किराए को,
जीवन एक मकान किराए को,
Bodhisatva kastooriya
जो समाज की बनाई व्यस्था पे जितना खरा उतरता है वो उतना ही सम्
जो समाज की बनाई व्यस्था पे जितना खरा उतरता है वो उतना ही सम्
Utkarsh Dubey “Kokil”
Loading...