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24 Sep 2021 · 1 min read

मुक्तक

मिल के सूखे पत्तों को टहनियों से छाँट दें,
रिश्तों में बढ़ रही इन गहराइयों को पाट दें,
अपनों से दूर होकर हासिल भी क्या करेंगे
ऐसा ना हो कि जीवन तन्हाइयों में काट दें,,

Language: Hindi
201 Views

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