मुक्तक
पर्यावरण
वृक्ष हों तो स्वच्छ हो वातावरण,
दूर कर दें, छा गया जो आवरण,
“ऐक पुत्र सौ वृक्ष” यही हो नारा,
तब बदल सकते सभी पर्यावरण l
सौ वृक्षों से तुलना करते,
होते पुत्र समान,
नगर प्रदूषण ही खो देगा,
मानव की पहिचान,
आज समय के साथ
चेतना भी आवश्यक,
ताप बढ़ा धरती पर तो फिर
होंगे सब हैरान l
पर्यावरण स्वच्छ रक्खें सब पेड़ लगायें,
घर का कचरा एकत्रित कर उसे लायें,
गोबर, मल को करें इकट्ठा खाद बनाएं
रहें स्वच्छ सब तो जीवन में हम सुख पायें l
डा० हरिमोहन गुप्त