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18 Feb 2021 · 1 min read

मुक्तक

नहीं धनवान मैं फिर भी हमारे पास शोहरत है।
बनी पहचान है मेरी यहाँ उसकी बदौलत है।
सदा आशीष रहता शीश पर मेरे पिता माँ का
हमारी जिंदगी की ये बड़ी अनमोल दौलत है।

अदम्य

Language: Hindi
1 Comment · 211 Views
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