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19 Dec 2020 · 1 min read

मुक्तक

बरसों से है खडा पडोसी सीमा पर बस ताने गोली
देश के अंदर भी कुछ कुछ गद्दारों की देखी टोली।
घर जो मेरे आये खेलने स्वागत है पर नही खेलूगा
देश नही जो खुश मेरा तो फिर मैं कैसे खेलू होली।।

–अशोक छाबडा

Language: Hindi
1 Like · 270 Views
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