मुक्तक
कभी तू _पास ले आती _कभी दुत्कार देती है,
कभी कातिल अदाओं से सनम तू मार देती है
तू ही तो _जान तू _जन्नत तू ही _आरजू मेरी
कभी हदसे भी ज्यादा तू सनम यूं प्यार देती है
कभी तू _पास ले आती _कभी दुत्कार देती है,
कभी कातिल अदाओं से सनम तू मार देती है
तू ही तो _जान तू _जन्नत तू ही _आरजू मेरी
कभी हदसे भी ज्यादा तू सनम यूं प्यार देती है