मुक्तक
महत्वाकांक्षाओं के आगोश में है
अभी तो वो जवानी के जोश में है ।
जाने कब लेगा सबक कहानी का
वो राज जो कछुए-खरगोश में है ।
-अजय प्रसाद
सियासी उठा पटक जारी है
जनता इसके लिए आभारी हैं ।
जरुर कुछ बेहतर होने वाला है
क्योंकि मामला अब सरकारी है
-अजय प्रसाद
आशिक़ी से मुझे कोई नफ़रत नहीं है
हाँ ज़िस्मानी प्यार की ज़रूरत नहीं है ।
रूह अगर हो रज़ामंद हो पास आना
वरना दिल अपना कहीं और लगाना ।
-अजय प्रसाद