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27 Jun 2020 · 1 min read

मुक्तक

रित से प्रित करो कबहो ना,
फूल खिलन मुरझाए जाएं,
अगर अंधा प्रेम जो करत फूल से,
बेचारा गंवा जाएं जिवन से,

रित से प्रित करो कबहो ना,
सांझ धरी ,धरा आलिंगन करके,
भोर धरा में मिल जाए,
ऐसी ही रहो जग में,
तब दुःख कबहु ना,
करे परिक्रमा तुम्हारे

Language: Hindi
5 Likes · 259 Views
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