मुक्तक
जहां गंगा बहती है सब मिलके रहते हैं
चेहरा देखते ही भावना को समझते हैं
खुद भुखे रह दुसरो को खाना खिलाते
जहां एकता उसे हिन्दुस्तान कहते हैं
नूरफातिमा खातून” नूरी”
21/4/2020
जहां गंगा बहती है सब मिलके रहते हैं
चेहरा देखते ही भावना को समझते हैं
खुद भुखे रह दुसरो को खाना खिलाते
जहां एकता उसे हिन्दुस्तान कहते हैं
नूरफातिमा खातून” नूरी”
21/4/2020