मुक्तक
एक उम्मीद लिय बैठी थी वस्ल ए यार की
क्या वजह उसे समय लगा मैयत में भी आते आते.
न वो आया न उसके नाम की सदाएं एआई
एक उम्र चुपके से गुजर गई बस उसे बताते बताते
~ सिद्धार्थ
एक उम्मीद लिय बैठी थी वस्ल ए यार की
क्या वजह उसे समय लगा मैयत में भी आते आते.
न वो आया न उसके नाम की सदाएं एआई
एक उम्र चुपके से गुजर गई बस उसे बताते बताते
~ सिद्धार्थ