मुक्तक
हम डूबे हुए थे नाक तक,
तुम्हारे सर से पानी गुजरते देखा तो चैन आया…???
बड़े बेचैन फिरते थे गुलाबों के दस्त में हम
तुम्हारे बेली में भी खार उगते देखा तो चैन आया…
~ सिद्धार्थ
हम डूबे हुए थे नाक तक,
तुम्हारे सर से पानी गुजरते देखा तो चैन आया…???
बड़े बेचैन फिरते थे गुलाबों के दस्त में हम
तुम्हारे बेली में भी खार उगते देखा तो चैन आया…
~ सिद्धार्थ