मुक्तक
इश्क हर जिंदा दिल में पलता है
चालाकियों को बस ये खलता है
तुम जो आते भूले से कहीं देखते सांस नहीं
सीने में मेरे तेरे नाम का धड़का चलता है
इश्क मेरा मद्धम मद्धम आंच के जैसे
पहलू के अंगनाईं में जलता रहता है
~ सिद्धार्थ
इश्क हर जिंदा दिल में पलता है
चालाकियों को बस ये खलता है
तुम जो आते भूले से कहीं देखते सांस नहीं
सीने में मेरे तेरे नाम का धड़का चलता है
इश्क मेरा मद्धम मद्धम आंच के जैसे
पहलू के अंगनाईं में जलता रहता है
~ सिद्धार्थ