जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
आप की मुस्कुराहट ही आप की ताकत हैं
लर्जिश बड़ी है जुबान -ए -मोहब्बत में अब तो
जब अन्तस में घिरी हो, दुख की घटा अटूट,
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
*आता मौसम ठंड का, ज्यों गर्मी के बाद (कुंडलिया)*
तुझे ढूंढने निकली तो, खाली हाथ लौटी मैं।
Kabhi kabhi har baat se fark padhta hai mujhe
नल बहे या नैना, व्यर्थ न बहने देना...
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान