मुक्तक
वक़्त के थपेड़े किश्ती को कहां टिकने देंगे
शाहिल की मैज किनारे किशती कहां लगने देंगे
कौन भला उठाए फिरे भंवर बाजुओं से
भवर भला कीशती को किनारे कब लगने देंगे
~ सिद्धार्थ
वक़्त के थपेड़े किश्ती को कहां टिकने देंगे
शाहिल की मैज किनारे किशती कहां लगने देंगे
कौन भला उठाए फिरे भंवर बाजुओं से
भवर भला कीशती को किनारे कब लगने देंगे
~ सिद्धार्थ