मुक्तक
1
पैसा गर न होता तो…जी में जी बचा होता
रिश्ते में कुछ तो रिश्ता भी बचा होता
~ सिद्धार्थ
2.
आंधियों में वो जब्र कहां जो मुझे बहा के ले जाए
कई दिनों से मैं तो यारा किनारे से लग के बैठी हूं
हमने कहा, बाते मुझे बहुत अभी तुमसे करनी है
आना जरा उसी गुफ्तगू के आस में दिल को संभाले बैठी हूं
3.
खुद अंतश के कुएं से खुद की लाश निकालूंगी
मगर खुद में प्यार के पलाश को मैं न मारूंगी
~ सिद्धार्थ