मुक्तक
1.
खुद अंतश के कुएं से खुद की लाश निकालूंगी
मगर खुद में प्यार के पलाश को मैं न मारूंगी
2.
हम सोच पाते बस खुदी के लिए तो हम हम न होते
इस दशत ए दुनियां में मेरे लिए फिर कोई गम न होते
3.
तेरे पलकों से जो अब तक ढलके नहीं
उन्हीं गर्म आशुओं का आगाज हुं मैं…
~ सिद्धार्थ