मुक्तक
1.
ये किस की गली से गुजरी हूं मैं गुलाब हो गई
उस ने देखा नहीं छुआ नहीं मैं रंग ए दोआब हो गई
~ सिद्धार्थ
2.
आधे चांद से कह दो प्रीत में रंग ज्यादा है
यकीं न हो तो पलट कर देखो
राधा के नेह में रंग और नूर श्याम से ज्यादा
प्रीत के रंग में रंग दो सखे दुनियां को
अंधेरा ख़तम होने में भला फिर क्या बाधा है???
~ पुर्दिल सिद्धार्थ