मुक्तक
तेरी यादों में अक्सर चुपके – चुपके रो लेते हैं,
अश्कों से इस दिल के सारे ज़ख्मों को धो लेते हैं,
हर ग़म को मुस्कानों से ही ढक लेने की कोशिश है
इसी लिए हम दर्द में भी बेफिक्री से सो लेते हैं
तेरी यादों में अक्सर चुपके – चुपके रो लेते हैं,
अश्कों से इस दिल के सारे ज़ख्मों को धो लेते हैं,
हर ग़म को मुस्कानों से ही ढक लेने की कोशिश है
इसी लिए हम दर्द में भी बेफिक्री से सो लेते हैं