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2 Oct 2019 · 1 min read

मुक्तक

हैं नकाबों में छिपे कुछ हाथों में पत्थर लिए,
बचके जाएं हम कहां कांच का ये घर लिए,
देख अपनों की दगा जज़्बात ही मर जाते हैं
जब मुस्कुरा के लोग मिले हाथ में खंजर लिए..

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 456 Views
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