मुक्तक
सच-झूठ का आईना तू रख
कांटों के बीच कलम तू रख ,
अंधेरा चीर दस दिशाओं का
सुबह की नींव का पत्थर तू रख।
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शेख जाफर खान
सच-झूठ का आईना तू रख
कांटों के बीच कलम तू रख ,
अंधेरा चीर दस दिशाओं का
सुबह की नींव का पत्थर तू रख।
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शेख जाफर खान