मुक्तक
कभी-कभी रिश्ते भी बेग़ाने नज़र आते हैं।
कभी-कभी अपने भी अनज़ाने नज़र आते हैं।
जब यादें तोड़ देतीं हैं क़िस्तों में दिलों को-
उस वक़्त आदमीं को पैमाने नज़र आते हैं।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
कभी-कभी रिश्ते भी बेग़ाने नज़र आते हैं।
कभी-कभी अपने भी अनज़ाने नज़र आते हैं।
जब यादें तोड़ देतीं हैं क़िस्तों में दिलों को-
उस वक़्त आदमीं को पैमाने नज़र आते हैं।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय