मुक्तक
तीर नज़रों के चलाने आ गये
मुझको दीवाना बनाने आ गये
हो गयी उल्फ़त उन्हें हमसे यही
वो सरे महफ़िल बताने आ गये
प्रीतम राठौर भिनगाई
तीर नज़रों के चलाने आ गये
मुझको दीवाना बनाने आ गये
हो गयी उल्फ़त उन्हें हमसे यही
वो सरे महफ़िल बताने आ गये
प्रीतम राठौर भिनगाई