मुक्तक
आज फिर तेरी रुसवाई से, मन फुटकर रोया है
खामोश ,टुटे हुए अशको ने,फिर रुखसार भिगोया है
इंतजार कब तलक करे,तेरी ईश्क की खुदाई का
विश्वास कर के तुम पर,हर बार इसे हमने खोया है।
आज फिर तेरी रुसवाई से, मन फुटकर रोया है
खामोश ,टुटे हुए अशको ने,फिर रुखसार भिगोया है
इंतजार कब तलक करे,तेरी ईश्क की खुदाई का
विश्वास कर के तुम पर,हर बार इसे हमने खोया है।