कचनार बने हो तुम !
कचनार बने हो तुम
गुलनार बने हो तुम,
क्यूँ … गुलशन की बाहों में
बेज़ार पड़े हो तुम… ?
हांथ बढ़ाओ, साथ तो आओ
क्यूँ … दिल को थाम खड़े हो तुम
लब पे शिकायत की सिसकी है
ये तो बोलो …
प्रेम में, ये दीवार किसकी है
बोलो क्यूँ … नहीं आते तुम
हांथ पसारे, दिल के द्वारे
कब से खड़े हैं हम,
सुनों… बेकार अड़े हो तुम
कचनार बने हो तुम
अरे… गुलनार बने हो तुम
/
छोड़ो पुर्दिल इन बातों को
मत पूछो, क्यूँ नहीं आते तुम
धीर धरो जरा ठौर धरो तुम
लब पे अपने हांथ जरो तुम
वो लोग बड़े सयाने थे
जिन्हें इश्क मिला और मुश्क मिला
हम तो बस दीवाने हैं
या इश्क मिले या मुश्क मिले
इश्क को तुम ही रख लेना
मुश्क छुपा हम धर लेते हैं
कितनी, सूनी आँखें हैं
जिन्हें, न इश्क मिला न मुश्क मिला
उन आँखों में पुर्दिल
मुश्क बसा हम देते हैं,
कचनार बना हम देते हैं,
गुलनार बना हम देते हैं
हांथ बढ़ाओ, साथ तो आओ
क्यूँ बेज़ार खड़े हो तुम
क्यूँ बेकार अड़े हो तुम’…
***
29-04-2019
…पुर्दिल …