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20 Jan 2017 · 1 min read

मुक्तक

हर एक शब्द को छूने के बाद ही हम
उस अर्थ को पाने का भरते हैं जो दम

तुम चाहें तुकबंदी कहकर किनारा करो
कौन जानता है तुम्हारे शब्द में है ब्रह्म

– पंकज त्रिवेदी

Language: Hindi
302 Views
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