मुक्तक
इसतरह से जागी है तेरी कामना!
जाँम को लबों से हो जैसे थामना!
बर्फ सी पिघल रही हैं हसरतें मेरी,
आग से ख्वाबों का हो जैसे सामना!
#महादेव_की_कविताऐं’
इसतरह से जागी है तेरी कामना!
जाँम को लबों से हो जैसे थामना!
बर्फ सी पिघल रही हैं हसरतें मेरी,
आग से ख्वाबों का हो जैसे सामना!
#महादेव_की_कविताऐं’