मुक्तक
अब तक का इतिहास यही है, उगते हैं कट जाते हैं
हम जितना होते हैं अक्सर, उससे भी घट जाते हैं
लोगों की पहचान तो आख़िर, लोगों से ही होती है
कहाँ किसी के साथ किसी के बाज़ू-चौखट जाते हैं
अब तक का इतिहास यही है, उगते हैं कट जाते हैं
हम जितना होते हैं अक्सर, उससे भी घट जाते हैं
लोगों की पहचान तो आख़िर, लोगों से ही होती है
कहाँ किसी के साथ किसी के बाज़ू-चौखट जाते हैं