मुक्तक
पहले शख्श कोई और था, यह शख्श दूसरा है,
तभी खाक में गिरके मिला तू टूटकर बिखरा है,
नक़ाब तेरा हट गया , कोई क्यूँ भरोसा अब करे
पतवार तेरी टूट गयी, अब तो खौंफ बस पसरा है “
पहले शख्श कोई और था, यह शख्श दूसरा है,
तभी खाक में गिरके मिला तू टूटकर बिखरा है,
नक़ाब तेरा हट गया , कोई क्यूँ भरोसा अब करे
पतवार तेरी टूट गयी, अब तो खौंफ बस पसरा है “