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2 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

“ज़िन्दगी तू दुख में मुझ को यूँ लगी
जिस तरह पंछी परों से हीन हो,
किसी पर बेवज़ह उँगली उठे
क्यों किसी की बेवज़ह तौहीन हो “

Language: Hindi
449 Views
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