मुक्तक
ये दुनिया की रवायत है काग को बाज़ बतलाना ।
दान जर्रे सा करना और खुद को कर्ण बतलाना ।
मेरी सबसे गुज़ारिश है स्वार्थ के मोह से निकलो
राह कोई अगर पूछे उसे सही राह बतलाना ।
ये दुनिया की रवायत है काग को बाज़ बतलाना ।
दान जर्रे सा करना और खुद को कर्ण बतलाना ।
मेरी सबसे गुज़ारिश है स्वार्थ के मोह से निकलो
राह कोई अगर पूछे उसे सही राह बतलाना ।