मुक्तक- दिया सम्मान- मेरा एक ख्वाब!
दिया सम्मान जो तूने, कभी न उसको भूलूंगा।
गुजरेगा जिन राहों से तू , जमीं वह मैं तो चूमूंगा।
ऐसे ही दिल में बसा रखना ,वक्त बेवक्त परखना।
साथी गर जान भी मांगी, हंसते-हंसते मैं भी दे दूंगा।।
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मेरा एक ख्वाब है साथी, सभी जन एक हो जाएं।
न कोई रूठे और झगड़े, प्रेम रस में ही खो जाए।
जीवन है बड़ा प्यारा, प्रेम में बसा है सुख सारा।
“अनुनय “खुशियां ही बांटे, गमों को मिलके सुलझाएं।।
राजेश व्यास अनुनय