मुक्तक -जयश्रीकृष्ण
तेरी छोटी पयियाँ
तेरी चूमती हथियाँ
तू धरती चूमें
तेरी पकड़ती बयियाँ
तेरी छोटी मोती दतियाँ
तेरी बजती पयजनियाँ
तू कठुला मुखडाले
तेरी साँवरी सुरतिया
तुझे काला टीका लगाऊँ
जगकी नजरों सै बचाऊँ
तू छुपके माटी खाये
का्न्हा नखाये बुलाऊँ
सज्जो चतुर्वेदी********