मुक्तक०१-
#एक_मुक्तक_ऐसे_ही
दुखों में रोकर मिलता है, सुखों में हँसकर मिलता है
क्षुधा-पीड़ित हो प्राणी जो, उसे तो खाकर मिलता है।
जगत में मैंने देखा है, सभी की अपनी विधियां हैं-
पर ! मुझको तो बस आनंद, नव-छंद लिखकर मिलता है।
#प्रताप
#एक_मुक्तक_ऐसे_ही
दुखों में रोकर मिलता है, सुखों में हँसकर मिलता है
क्षुधा-पीड़ित हो प्राणी जो, उसे तो खाकर मिलता है।
जगत में मैंने देखा है, सभी की अपनी विधियां हैं-
पर ! मुझको तो बस आनंद, नव-छंद लिखकर मिलता है।
#प्रताप