मुक्तक।
कोई कहीं मेरी ख़ातिर भी होगा।
अहसास है यह मुझे यह खबर है।
मैं एक टुकड़ा जमीं खोजता हूँ।
आँखों में उगता हुआ एक घर है।
कोई कहीं मेरी ख़ातिर भी होगा।
अहसास है यह मुझे यह खबर है।
मैं एक टुकड़ा जमीं खोजता हूँ।
आँखों में उगता हुआ एक घर है।