मुकाम जिन्दगी के
दिनांक 3/4/19
जिन्दगी में है
बहुत है
गम-ए-दर्द दोस्त
मुस्कान के बहाने
ढूंढो यारों
जिन्दगी गुजर
जाती है
अपने – पराये में
दोस्तों
दिलों से नाता
जोड़ कर
चेहरे पर मुस्कान
तो लाओ यारों
बगिया रोशन है
खिले हुए फूलों से
किसी फकीर
के चेहरे पर
मुस्कान तो
लाओ यारों
मुस्कान तेरे लिए
और क्या बयां करूँ
रोते हुए चेहरे पर
मुस्कान लाओ
तो कुछ बात बनें
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल