Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2023 · 1 min read

******जय श्री खाटूश्याम जी की*******

******जय श्री खाटूश्याम जी की*******
*********************************

हम खुश हैँ हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैँ।
पुलकित हर्षित तन-मन हमारे वारे न्यारे हैँ।

खाटू की गोदी मे बाबा श्याम का बसेरा है,
हो रोशन वहाँ जा कर मिट जाता अंधेरा है,
मोर्वीनन्दन श्याम धणी दीनों के सहारे हैँ।
हम खुश है हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैँ।

दुखियों का दुख हरने कलयुग में है आया,
शीश का महादानी सुख-दुख का सरमाया,
निज कर कमलों से सोये नसीब निखारे हैँ।
हम खुश है हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैँ।

मोह माया के बन्धन से नाता है तोड़ लिया,
तीन बाण धारी सांवरे से नाता जोड़ लिया,
तुम से ही जीवन मेरा चढ़ा महल चुबारे हैँ।
हम खुश है हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे है।

शाम सवेरे मै तो जय श्री श्याम जाप करूँ,
हर पल मन ही मन श्याम साँवरा नाम धरूँ,
खाटूनरेश ने दे दर्शन मन में मैल निखारे हैँ।
हम खुश हैँ हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैं।

खाटू वाले श्याम की नीले घोड़े की सवारी,
केशव चंदन से तिलक बढ़ी शोभा निराली,
काम अटके अगर मेरा तेरी और निहारे हैँ।
हम खुश हैँ हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैँ।

तेरे दर चल कर आया मनसीरत सवाली,
खुशियों से है भर दी झौली थी मेरी खाली,
डूबों को यहाँ आ कर मिल गये किनारें हैँ।
हम खुश हैँ हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैँ।

हम खुश है हमारे यहाँ खाटूश्याम पधारे हैँ।
पुलकित हर्षित तन-मन हमारे वारे न्यारे हैँ।
*********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: गीत
117 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उदारता
उदारता
RAKESH RAKESH
*आओ-आओ इस तरह, अद्भुत मधुर वसंत ( कुंडलिया )*
*आओ-आओ इस तरह, अद्भुत मधुर वसंत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
"अहम का वहम"
Dr. Kishan tandon kranti
राष्ट्र निर्माता शिक्षक
राष्ट्र निर्माता शिक्षक
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नृत्य दिवस विशेष (दोहे)
नृत्य दिवस विशेष (दोहे)
Radha Iyer Rads/राधा अय्यर 'कस्तूरी'
बाबूजी
बाबूजी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
संवेदनायें
संवेदनायें
Dr.Pratibha Prakash
हमारी मूर्खता ही हमे ज्ञान की ओर अग्रसर करती है।
हमारी मूर्खता ही हमे ज्ञान की ओर अग्रसर करती है।
शक्ति राव मणि
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
सो रहा हूं
सो रहा हूं
Dr. Meenakshi Sharma
यही तो मजा है
यही तो मजा है
Otteri Selvakumar
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
" महखना "
Pushpraj Anant
कोरोना - इफेक्ट
कोरोना - इफेक्ट
Kanchan Khanna
शेर
शेर
SHAMA PARVEEN
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
Phool gufran
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
*Author प्रणय प्रभात*
सौगंध
सौगंध
Shriyansh Gupta
कभी कभी पागल होना भी
कभी कभी पागल होना भी
Vandana maurya
प्रकृति
प्रकृति
Monika Verma
आ ठहर विश्राम कर ले।
आ ठहर विश्राम कर ले।
सरोज यादव
सच और सोच
सच और सोच
Neeraj Agarwal
ये जो नखरें हमारी ज़िंदगी करने लगीं हैं..!
ये जो नखरें हमारी ज़िंदगी करने लगीं हैं..!
Hitanshu singh
संवेदना का कवि
संवेदना का कवि
Shweta Soni
बाल एवं हास्य कविता: मुर्गा टीवी लाया है।
बाल एवं हास्य कविता: मुर्गा टीवी लाया है।
Rajesh Kumar Arjun
23/106.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/106.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
............
............
शेखर सिंह
फिर हो गया सबेरा,सारी रात खत्म,
फिर हो गया सबेरा,सारी रात खत्म,
Vishal babu (vishu)
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
वक्त कितना भी बुरा हो,
वक्त कितना भी बुरा हो,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...